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Tulsi Peeth is the official application of "Padma Vibhushit Tulsipithadhishwar Jagadguru Ramanandacharya Swami Shri Rambhadracharya Ji Maharaj."

The purpose of Tulsi Peeth application is to organize every Sanatani Hindu in India and to make people benefit from the thoughts of Pujya Gurudev Swami Rambhadracharya ji.

The functionality of Tulsi Peeth App is multipurpose. Which is a unique combination of devotion, good governance, education, service and cooperation.

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About Jagadguru Rambhadracharya ji 

आज भी भारतवर्ष की आर्ष चेतना को मूर्छित करने का निष्फल एवं निराधार प्रयास किया जा रहा है। हम लोग बड़भागी हैं कि ऐसे समय में श्रीचित्रकूटपीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज इस धराधाम पर विराजमान हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि मध्यकाल के युगचेता आचार्य स्वामी रामानन्दाचार्य ही इस युग में स्वामी रामभद्राचार्य के रूप में युगोद्धार के लिए अवतरित हुए हैं। इनकी आध्यात्मिक ऊर्जा से द्विविधाग्रस्त भारतीय धार्मिक -सांस्कृतिक चेतना को एक नई प्रेरणा प्राप्त हो रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि मध्यकालीन महान आचार्यों और संतों की भावधारा इनके मन-मस्तिष्क में समाहित होकर युग-कल्याण के लिए सतत सन्नद्ध है। वेद से लेकर हनुमान चालीसा तक की लक्षाधिक ऋचाएँ, श्रीमद्भागवत, श्रीमद् वाल्मिकी रामायण, श्रीरामचरितमानस, भक्तमालग्रन्थ, अष्टाध्यायी आदिग्रन्थ इन्हें कंठस्थ हैं।

जगद्गुरु का व्यक्तित्व, कर्तृत्व और वक्तृत्व अप्रतिम है। इनकी प्रखर प्रातिभ प्रवचन क्षमता से शारदासुवन भी हतप्रभ हो जाते हैं। इनकी भाषिक क्षमता, कथाशैली की प्रभावमयता, शास्त्रों की प्रज्ञामयता, वाणी की स्पष्टता, भाव की प्रवणता, स्वर की मधुरता, संगीत की सरसता और सबसे बढ़कर रामकथातत्त्व की सहज भक्तिमयता से श्रद्धालुजन सहज ही आनंदित होने लगते हैं। प्रस्थानत्रयी के विशिष्टाद्वैतपरक वृहद् भाष्य सहित 225 से अधिक गंभीर ग्रंथों के रचयिता जगद्गुरु भगवान् के प्रवचन में वैदिक, पौराणिक तथा लौकिक अकाट्य तर्कों का सांगोपांग सामंजस्य रहता है।विश्वविश्रुत रामकथाव्यास जगद्गुरु भगवान् ने रामकथाधारा की गंगा प्रवाहित कर लोकजीवन की कल्मषता को प्रक्षालित कर उनके अंतर्बाह्य स्थल को पावन कर कृतार्थ किया है। इनके प्रवचन से सांप्रतिक चाकचिक्य की आपाधापी और भौतिकवादी मानसिकता की उद्दंड विकास यात्रा से आधुनिक मानव के मानस पर छायी संशय की कालिमा क्षण भर में छिन्न-भिन्न हो जाती है। पद्मविभूषण पुरस्कार से सम्मानित जगद्गुरु जी का राष्ट्रिक भावबोध संपूर्ण भारतीय राष्ट्रीय-सांस्कृतिक चेतना को सतत अनुप्राणित करता रहता है। निष्कर्षतः स्वामी रामानन्दाचार्य के भक्ति आंदोलन को जगद्गुरु भगवान् ने सांप्रतिक युगीन परिप्रेक्ष्य में सर्वथा सबल कंधों पर धारण कर संपूर्ण मानवता के सर्वविध लौकिक और पारलौकिक कल्याण के लिए सतत प्रयत्न किऐ हैं। उनकी स्पष्ट मान्यता है कि उनके परमाराध्य भगवान् श्रीसीताराम के श्रीचरणों में अनन्य शरणागति की भावदशा ही मानव कल्याण का एकमात्र सन्निधान है।

स्वामी रामानन्दाचार्य के पद चिन्ह का अनुसरण कर चलते हमारे वर्तमान जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी के अनुदेशन में बनी इस वेबसाईट के माध्यम से आप भगवान श्री राम के ही अवतार जगद्गुरु स्वामी रामनन्दाचार्य जी एवं इस सम्प्रदाय के अन्य भक्तों के द्वारा कलिकाल के दुष्प्रभावों के मान मर्दन को शब्दशः जान सकेंगे।

तुलसी पीठ एप्लीकेशन हमारे पद्मभूषित जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज जो कि भारतीय उपमहाद्वीपीय सनातन ज्ञान के शिखर-शिरोमणि हैं के हृदय में उत्त्पन्न हुए एक स्पंदन के प्रभाव का फल ही है। उन्होंने भारतीय संस्कृति, साहित्य और दर्शन विषय पर 225 से अधिक पुस्तकों की रचना धरोहर के रूप में की है। यह दैविक संयोग है कि अयोध्या में नव निर्मित श्री राममंदिर के भव्य शुभारम्भ और पूज्यपाद जी के 75 वां जन्मोत्सत्व का सुअवसर एक साथ आया है। महाराज जी आजीवन इस भागीरथी प्रयास में निरत रहे हैं कि अयोध्या में मूल स्थान पर रामलला जी के भव्य मंदिर का निर्माण हो और काराकोरम (समूचे कश्मीर) से कन्याकुमारी तक अखण्ड भारत को मूर्त रूप देकर दुनिया के मानचित्र पर स्थापित किया जा सके। जिसके राममंदिर निर्माण के लिए देश में अनेकों प्रयास किए गए थे, लेकिन यह पुनीत कार्य न्यायालय से निर्णित होने के मोड़ पर पहुंच कर वर्षों से अटका हुआ था और जब उच्च न्यायालय ने पूछा कि क्या रामलला के अयोध्या में जन्म का शास्त्रों में कोई प्रमाण है क्या? ऐसे संकट के समय महाराज जी साक्ष्य देने के लिए कठघरे में प्रस्तुत हुए। न्यायालय ने स्वाभाविक प्रश्न किया कि आप बिना देखे कैसे साक्ष्य देंगे? इस पर प्रज्ञाचच्छु श्री रामभद्राचार्य जी ने कहा कि शास्त्रीय साक्ष्य के लिए भौतिक आंखों की आवश्यकता नहीं होती। शास्त्र ही सबकी आंखें हैं। जिनके पास शास्त्र नहीं वे दृष्टिहीन हैं। उनके इस वक्तव्य को न्यायालय ने स्वीकार कर पूछा कि शास्त्रीय प्रमाण दीजिए तब महाराज श्री ने अथर्ववेद के दशम काण्ड के ३१वें अनुवाक्य के दूसरे मंत्र को प्रमाण स्वरूप प्रस्तुत करते हुए कहा कि-

अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या। तस्या हिरण्यय: कोश: स्वर्गो ज्योतिषवृत:।।

अर्थात वेदों में स्पष्ट कहा गया है कि 8 चक्र और 9 द्वार वाली अयोध्या, रामजन्मभूमि से ३०० धनुष उत्तर में सरजू नदी विद्यमान है और आगे इस तरह के 441 साक्ष्य प्रस्तुत किए और जब वहां खुदाई हुई जो 437 साक्ष्य स्पष्ट निकले। उनमें से केवल 4 अस्पष्ट थे, लेकिन वह भी रामलला के ही प्रमाण थे। इस प्रकार 8 अक्टूबर 2019 को तीन सदस्यीय जजों की बेंच ने महाराज श्री द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों की रोशनी में कोटि कोटि भारतवासियों के आराध्य भगवान श्रीराम की जन्म भूमि से विवादों का समापन करते हुए निर्णय दिया। इसलिए आज हम सभी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के साक्षी बन पा रहे हैं।

धर्मचक्रवर्ती तुलसीपीठ के संस्थापक पद्मविभूषित जगदगुरू श्री रामभद्राचार्य जी महाराज एक शिक्षक हैं, संस्कृत के विद्वान होने के साथ वे बहुभाषाविद्, एक कवि, लेखक, संगीतकार और वात्सल्य हृदय के अद्भुत संत शिरोमणि हैं। आप सनातन समाज की धरोहर हैं।

श्रीतुलसी पीठ की स्थापना-

1987 में उन्होंने चित्रकूट (मध्य प्रदेश) में एक धार्मिक और समाजसेवा संस्थान तुलसी पीठ की स्थापना की, जहाँ रामायण के अनुसार श्रीराम ने वनवास के चौदह में से बारह वर्ष बिताए थे। इस पीठ की स्थापना हेतु साधुओं और विद्वज्जनों ने उन्हें श्रीचित्रकूटतुलसीपीठाधीश्वर की उपाधि से अलंकृत किया। इस तुलसी पीठ में उन्होंने एक सीताराम मन्दिर का निर्माण करवाया, जिसे काँच मन्दिर के नाम से जाना जाता है।

नये भारत में प्राचीन भारत की परम्पराओं को संरक्षित करते हुए अर्वाचीन भारत तक समन्वय स्थापित करने का दिव्य संकल्प हमारे वर्तमान जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी के द्वारा लिया गया है और जिसका आधार उन्होंने बाल्यकाल से ही रख दिया था। दो महीने की आयु में ही नयन ज्योति के चले जाने के बाद भी अपनी अद्वितीय भक्ति भावना और विद्वता के बल पर जहाँ दो सौ से अधिक ग्रन्थों की रचना कर उन्होंने सनातन धर्म की गौरव गाथा को पुनर्स्थापित किया वहीं दूसरी ओर अयोध्या जी में स्थापित भगवान श्रीराम के मन्दिर में चकित करने वालों प्रमाणों को रखकर रामलला के मन्दिर निर्माण के मार्ग को कानूनी रुप से प्रशस्त करा दिया। परमादरणीय जगद्गुरु के दिव्य संकल्प को पूर्ण करते हुए हम सभी इस मार्ग पर निरन्तर अग्रसर हैं जिसके एक सुन्दर और सर्वसुलभ पड़ाव के रूप में आप के मध्य इस तुलसी पीठ एप्लीकेशन का होना है।

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About Ramchandradas ji Maharaj

पूज्यपाद जगद्गुरु जी जिन्हें अपनी आँखों की संज्ञा देते हैं, आचार्य रामचन्द्र दास उनके बौद्धिक विचारों, आध्यात्मिक अनुभवों तथा प्रशासनिक निर्णयों के वाहक हैं। साकेतवासिनी पूज्य बुआ जी ने इनको माता-पिता से मात्र 12 वर्ष की आयु में समाज और तुलसी पीठ की सेवा के लिए माँग लिया था। बुआ जी आजीवन पूज्यपाद जगद्गुरु जी के आध्यात्मिक तथा साहित्यिक मार्ग से कंकड़-पत्थर हटाती रहीं। उनके देह त्यागने के उपरांत उनकी आत्मा की ही प्रेरणा से पूज्य गुरुदेव ने बुआ जी द्वारा प्रशिक्षित जय मिश्र (पूर्वाश्रम का नाम) को रामचन्द्र दास के रूप में 2018 में अपना उत्तराधिकारी चुना। जब पूज्यपाद ने अपने संप्रदाय के वैचारिक प्रसार के लिए 2021 में रामानन्द मिशन की स्थापना की तब आचार्य रामचन्द्र दास को ही ट्रस्ट का उपाध्यक्ष तथा सचिव भी नियुक्त किया। अपने दायित्व के निर्वहन के क्रम में युवराज स्वामी एक तरफ व्यासपीठ की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, दूसरी तरफ पूज्य गुरुदेव के ज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए गुरुदेव के निर्देशन में शोधरत हैं, वहीं तीसरी तरफ नए-नए कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी नेतृत्व क्षमता को परिकरों के मन में स्थापित कर रहे हैं।

जगद्गुरु जी के शिष्य रामचंद्र दास जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन गुरु सेवा में समर्पित कर दिया, उनके उत्तराधिकारी के रूप में उनके कार्यभार संभाल रहे हैं यही नहीं गुरु जी के मार्गदर्शन में वह समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए रामानंद मिशन के माध्यम से जागरूक करने का कार्य कर रहें I

हमें क्यों चुने

तुलसी पीठ एप्लीकेशन,पद्मविभूषण संत श्री जगदगुरू रामभद्राचार्य जी महाराज से जुड़ी हुई सेवाओं को जन जन तक आसानी से पहुंचाने के लिए डिजिटल मंच है जो निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति करता है।

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भक्ति

भक्ति के अंतर्गत,ध्वनि चिकित्सा द्वारा जन कल्याण,हेतु जप की डिजिटल तकनीक उपलब्धता

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सुशासन

तुलसी पीठ सदस्यता अभियान के माध्यम से भारत की एकता और अखंडता के लिए डिजिटल प्रयास,एवं राम सेवक वोलेंटियर प्रोग्राम के माध्यम से भारत के प्रत्येक गांव शहर तक सेवकों का नेटवर्क स्थापित करना

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सेवा

कथाओ का सीधा प्रसारण ,राघव तीर्थ दर्शन योजना,जैसी लगभग 10 से ज्यादा सेवाओं की उपलब्धता

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सहयोग

ब्लड डायरेक्टरी,असहाय सहायता शिविर, कन्याविवाह जैसे महत्वपूर्ण सहयोग

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शिक्षा

संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए ,अलग अलग वर्ग के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर ,संस्कृत ज्ञान परीक्षा का आयोजन